देहरादून। जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती घटनाओं के बीच, उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (न्ब्व्ैज्) और हिमालयन एकेडमी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के संयुक्त तत्वावधान में ‘विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन 2025’ का तीसरा प्री-समिट बेंगलुरु स्थित प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च में आयोजित हुआ। सम्मेलन में देश-विदेश से 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि आपदा-प्रबंधन में प्रौद्योगिकी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है और राज्यों को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखंड ने अपने वीडियो संदेश के माध्यम से इस प्री आपदा सम्मेलन को आयोजित कराने हेतु यूकॉस्ट व अन्य आयोजकों को बधाई प्रेषित की और कहा की इसका मुख्य सम्मेलन नवम्बर माह मे उत्तराखण्ड मे होगा। भारत रत्न प्रो. सी.एन.आर. राव व डॉ. इंदुमती राव ने ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराई। प्रो. राव ने राज्यों के बीच वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए यूकास्ट की सराहना की, जबकि डॉ. राव ने ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने पर चिंता व्यक्त की। यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने उत्तराखंड और कर्नाटक के बीच सांस्कृतिक-सामाजिक संबंधों को रेखांकित करते हुए सिलक्यारा फ्रेमवर्क नामक एक स्वदेशी आपदा प्रबंधन मॉडल का प्रस्ताव रखा, जो पूर्व-आपदा वैज्ञानिक तैयारी पर केंद्रित है।
प्रथम सत्र प्रौद्योगिकी और आपदा जोखिम प्रबंधन पर आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता डॉ. दिनेश के. त्यागी ने की। प्रमुख वक्ता के रूप में राजेंद्र सिंह बिष्ट, डॉ. अंशु शर्मा, डॉ. किरण राजशेखरिया, डॉ. गीता प्रिया, डॉ. सी.एन.एन. प्रभु, राजेंद्र कोप्पा रामाराव ने विचार रखे। मुख्य चचा समावेशी और टिकाऊ तकनीकी नवाचार पर की गई। द्वितीय सत्र अंतरिक्ष आधारित अवलोकन प्रणाली पर आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता प्रो. विनोद शर्मा ने की। प्रमुख वक्ता के रूप में प्रो. पी.के. जोशी, डॉ. अनिल गुप्ता, डॉ. जी.एस. रावत, डॉ. सन्तोनु गोस्वामी, डॉ. उत्तम कुमार, प्रो. प्रवीण कुमार ने विचार रखे। मुख्य चचा सैटेलाइट आधारित पूर्व चेतावनी प्रणाली पर की गई। तीसरा सत्र विशेषज्ञ विचार एवं नवाचार का हुआ, जिसकी अध्यक्षता प्रो. विनोद मेनन ने की। प्रमुख वक्ता के रूप में डॉ. कपिल जोशी, वेंकटेश अय्यर, डॉ. रश्मि दीक्षित, शुभम तोमर, डॉ. एच.एस. सुधीरा, प्रदीप मोटवानी रहे।
मुख्य चर्चा पारंपरिक ज्ञान और विज्ञान पर हुई। चतुर्थ सत्र महिलाओं की नेतृत्व भूमिका पर हुआ, जिसकी अध्यक्षता डॉ. अर्चना पिल्लई ने की। प्रमुख वक्ता के रूप में डॉ. मनीषा वी. रमेश, मीना गुप्ता, डॉ. रीमा पंत, डॉ. प्रीति राव, सुचि वोहरा, डॉ. जयश्री भट्ट ने विचार रखे।
मुख्य चचा महिला नेतृत्व द्वारा सामुदायिक समाधान पर हुई। सभी वक्ताओं व आयोजकों को प्रो. दुर्गेश पंत द्वारा सम्मानित किया गया। आयोजन समिति में प्रह्लाद अधिकारी, प्रो. उमेश वाघमारे, प्रो. एन.एस. विद्याधिराज, प्रो. शीबा वासु, प्रो. जयश्री भट्ट, प्रो. अरुण त्यागी, अमित पोखरियाल, जितेन्द्र और संदीप प्रमुख रहे।